6 legendary Indian Female Scientist भारत की 6 महान महिला वैज्ञानिक.
ये उस समय की बात है जब महिलाओंके पढनेपर निर्बंध था. जब महिला सशक्तिकरण जैसी कोई व्याख्या नहीं थी. आज २०२१ में जो महिलाये हर क्षेत्र में अग्रेसर है उसकी नीव इन्ही क्रांतिकारी महिलाओने रखी थी. तो आइये जानते है भारत के कुछ महान महिला वैज्ञानिको के बारे में.
1. Anandi bai Gopalrao Joshi | आनंदी बाई गोपालराव जोशी
उनके पति
ने उन्हें दवा (Medicine) का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित
किया. 1880 में, उन्होंने एक प्रसिद्ध
अमेरिकी मिशनरी, रॉयल वाइल्डर को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी की अमेरिका में चिकित्सा का अध्ययन करने में
रुचि दिखाई और खुद के लिए एक उपयुक्त पद के बारे में पूछा. वाइल्डर
ने अपने प्रिंसटन के मिशनरी रिव्यू में इस सन्दर्भ में पत्राचार प्रकाशित किया. न्यू जर्सी के रोसेले की निवासी थियोडिसिया कारपेंटर ने अपने दंत
चिकित्सक के इंतजार के दौरान इसे पढ़ा. आनंदीबाई की दवा का
अध्ययन करने की इच्छा और अपनी पत्नी के लिए गोपालराव के समर्थन से प्रभावित होकर,
उन्होंने आनंदीबाई की सहायत करने का निर्णय लिया.
19 साल की उम्र में आनंदीबाई ने चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू किया. अमेरिका में, ठंड और अपरिचित आहार के कारण उनका
स्वास्थ्य खराब हो गया. फिर भी, उन्होंने
मार्च 1886 में एमडी के साथ ग्रेजुएट किया; उनकी थीसिस का विषय "आर्यन हिन्दुओं के बीच प्रसूतिशास्त्र" था. थीसिस में आयुर्वेदिक ग्रंथों और अमेरिकी चिकित्सा पाठ्यपुस्तकों दोनों
से संदर्भों का उपयोग किया. उनके ग्रेजुएट होने पर, महारानी विक्टोरिया (Queen Victoria) ने उन्हें एक
बधाई संदेश भेजा.
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2. Janaki Ammal Edavalath Kakkat जानकी अम्मल इडावलाथ कक्कट
साइटोजेनेटिक्स
में एक विशेषज्ञ के रूप में, जानकीजी गन्ने (Sugar
cane) की जीव विज्ञान पर काम करने के लिए कोयम्बटूर में गन्ना
प्रजनन केंद्र में शामिल हो गए. उस समय, दुनिया का सबसे मीठा गन्ना सेंचुरम ऑफिशियारम (Saccharum
officianarum) पपुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) से था और भारत ने इसे दक्षिण पूर्व एशिया से आयात किया था. भारत की देसी गन्ने की किस्मों को बेहतर बनाने के लिए, 1920 के दशक की शुरुआत में गन्ना प्रजनन स्टेशन कोयंबटूर में स्थापित किया गया
था. प्रयोगशाला में संकरों के क्रॉस-ब्रीडिंग के माध्यम से
पॉलीप्लॉइड कोशिकाओं में हेरफेर करके, जानकीजी एक उच्च उपज वाली
प्रजाति पैदा करने में सक्षम हुई जो भारतीय परिस्थितियों में आसानी से पनप सकता
था. उनके शोध से पूरे भारत में गन्ने के भौगोलिक वितरण का विश्लेषण करने में भी मदद
मिली, और भारत में गन्ने की विभिन्न किस्मों की उत्पत्ति हुई
है. हालाँकि, पिछड़ी मानी जाने वाली
जाति की एकल महिला के रूप में उनकी हैसियत कोयम्बटूर में उनके पुरुष साथियों के
बीच जानकी के लिए अपूरणीय समस्या थी. जाति और लिंग आधारित
भेदभाव का सामना उन्हें करना पड़ा. लेकिन उनका हौसला और विज्ञान
के लिए उनकी जिज्ञासा इतनी ज्यादा थी की उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
रॉयल हॉर्टिकल्चरल सोसाइटी, विस्ली, यू.के.
(Royal Horticultural Society, Wisley, U.K) ने प्लांट ब्रीडिंग में
उनके काम का सम्मान करने के लिए, उन्होंने खोजी हुई मैगनोलिया
जाती को उनके नाम से - मैगनोलिया कोबस जानकी अम्मल – नवाजा.
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3. Anna Mani अन्ना मणि
अन्ना मणि
ने भारत को मौसम के साधनों पर निर्भर बनाने की कामना की. उन्होंने लगभग 100 विभिन्न मौसम उपकरणों के चित्र
मानकीकृत किए. 1957-58 से, उन्होंने सौर विकिरण को मापने के लिए स्टेशनों का एक नेटवर्क स्थापित किया. बैंगलोर में, उन्होंने एक छोटी कार्यशाला स्थापित
की जो हवा की गति और सौर ऊर्जा को मापने के उद्देश्य से उपकरणों का निर्माण करती
थी. उन्होंने ओजोन को मापने के लिए एक उपकरण के विकास पर काम
किया. उन्हें इंटरनेशनल ओजोन एसोसिएशन (International
Ozone Association) का सदस्य बनाया गया था.
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4. Kamala Sohonie कमला सोहोनी
IISc में कमला सोहोनी के गुरु श्रीनिवासराय थे. यहां उन्होंने
दूध, दाल और फलियां में प्रोटीन पर काम किया. उनके समर्पण और अनुसंधान से 1936 में एमएससी की
पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद ही प्रो. रमन ने महिलाओं को IISc
में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन दिया.
कमलाजी नई
दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में जैव रसायन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख
नियुक्त कि गयी. बाद में, उन्होंने पोषण
अनुसंधान प्रयोगशाला, कुन्नूर में सहायक निदेशक के रूप में
काम किया. विटामिन के प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया.
5. Rajeshwari Chatterjee राजेश्वरी चटर्जी
1953 में, पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के IISc में विद्युत संचार इंजीनियरिंग विभाग में एक संकाय सदस्य बन गईं, बाद में उन्होंने "विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत, इलेक्ट्रॉन
ट्यूब सर्किट, माइक्रोवेव प्रौद्योगिकी और रेडियो
इंजीनियरिंग" विषय पढ़ाया. उसी वर्ष, उन्होंने शिशिर कुमार चटर्जी से शादी की, जो उसी
कॉलेज के संकाय सदस्य थे. उनकी शादी के बाद, उन्होंने और उनके पति ने माइक्रोवेव (Microwave) अनुसंधान
प्रयोगशाला का निर्माण किया और माइक्रोवेव इंजीनियरिंग (Microwave
Engineering) के क्षेत्र में शोध शुरू किया, जो
भारत में इस तरह का पहला शोध था.
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6. Maharani Chakravorty महारानी चक्रवर्ती
चक्रवर्ती ने डॉ. देबी प्रोसाद बर्मा की
मेंटरशिप के तहत बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता से माइक्रोबियल
प्रोटीन संश्लेषण पर पीएचडी की. उन्होंने न्यू यॉर्क
यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में बी.एल. होरेकर (B.L Horecker) की
प्रयोगशाला में एंजाइम रसायन (enzyme
chemistry) विज्ञान में डॉक्टरेट के बाद का प्रशिक्षण लिया.
'बैक्टीरियल जेनेटिक्स एंड वायरोलॉजी' में
उनका विशेष प्रशिक्षण कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी, लॉन्ग
आइलैंड, यू.एस.ए. में पूरा हुआ. 1968
से 1969 तक, उन्होंने
मानव आनुवांशिकी विभाग, एन अर्बोर, मिशिगन,
यूएसए में प्रो. मायरोन लेविन की प्रयोगशाला
में काम किया. उन्होंने स्थापित किया कि 1000S की अवसादन स्थिरांक साल्मोनेला टाइफिम्यूरियम (Salmonella
typhimurium) का झिल्ली परिसर न केवल डीएनए संश्लेषण बल्कि आरएनए
संश्लेषण का स्थल भी है. शोध के बाद, वह
भारत लौट आई और बोस संस्थान में शामिल हो गई. उन्होंने एककोशिकीय
जीवों में चयापचय के नियमों पर शोध किया.
हमें गर्व है
के हालत विरुद्ध होते हुए भी इन महिलाओने शिक्षा के प्रति पूरा समपर्ण दिखाया और
आज जो भारतीय महिला की एक उज्जल तस्वीर हमारे सामने आती है उसका श्रेय इन्ही
महिलाओको जाता है. ऐसी और भी वैज्ञानिक महिलाये है जिनका भारतीय विज्ञान में
अमूल्य योगदान है. उनके बारे में भी हम आगे जानेंगे.
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