India’s daughter: Kalpana Chawla Story | कल्पना चावला की कहानी
Img. Source Google |
प्रिंसिपल ने उस छोटी बच्ची की ओर देखा ओर पूछा के तुम्हे कौनसा नाम
अच्छा लगा?
उस बच्ची ने तुरंत जवाब दिया 'कल्पना'
आज यही कल्पना इंडियाज डॉटर कहलाती है.
हां दोस्तों ये कहानी है कल्पना चावला की. वो कल्पना चावला जो पहली
भारतीय महिला थी जो स्पेस में गयी थी. जिनपर पुरे भारत को
गर्व है. वो कल्पना चावला जो आज कई लोगो की प्रेरणास्त्रोत है.
जितना प्रेरणादायी उनका कार्य है उतना ही प्रेरणादायी उनका जीवन भी है.
कल्पना की कहानी इसलिए भी अलग है क्युके उनका जन्म जिस समय हुआ था तब
लडकियोंसे यही उम्मीद रखी जाती थी की वो आज्ञाकारी बने और घर गृहस्थी संभाले और
चूल्हा चौका करके घरके सदस्योंका पालन पोषण करे. इसी सोच को मात देकर उन्होंने
आत्मविश्वास से जो उड़ान भरी जो सीदे आसमान में तारो को छू गयी. इसमें उनका साथ
जिसने दिया वो भी एक महिला ही थी - उनकी माँ.
वैसे तो उनका जन्म मार्च 17, 1962 में हुआ था लेकिन उसे 1 जुलाई 1961 में बदल दिया गया ताकि वह मेट्रिक परीक्षा के लिए पात्र बने.
कल्पना को उनके भाई संजय और बहन
सुनीता और दीपा ‘मंटो’ कह के पुकारते थे. आगे यही उनका निकनेम बन गया.
कल्पना को कविता, नृत्य, साइकिल चलाना और दौड़ना पसंद था. वह खेल स्पर्धाओं
में भी हिस्सा लेती थी और सभी दौड़ में प्रथम स्थान पर रहती थी. वह अक्सर लड़कों के
साथ बैडमिंटन और डॉजबॉल खेलती थी.
करनाल में एक फ्लाइंग क्लब है जिसे ‘करनाल एविएशन क्लब’ कहा जाता था और अब यह हरियाणा
इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल एविएशन का एक हिस्सा है. यहाँ, छोटे पुष्पक विमान और ग्लाइडर नियमित रूप से उड़ान भरते और उतरते हैं. कल्पना का घर इस क्लब से कुछ ही किलोमीटर
की दूरी पर था, ये उड़ते हुए विमान उसका ध्यान खींचने लगे और धीरे धीरे आकाश में
उड़ते इन विमानों को देखना उसे बहोत अच्छा लगने लगा. शायद यहिसे वो असीम नीले आकाश
की ओर आकर्षित हो गयी. और उसकी गहराइयोंमे क्या छुपा है ये जानने की उत्सुकता भी
उनमे जागृत हुई.
वो अक्सर अपने पिता के साथ फ्लाइंग क्लब में हवा में उड़ते
विमानों को देखने जाती थी.
स्कूल में जब भी टीचर ड्राइंग बनाने को कहते थे वो हमेशा आकाश
में उड़ते विमानों का ही ड्राइंग बनाती. उसे ऐरोप्लॅन्स के मॉडल बनाना भी बहोत पसंद
था.
जैसे जैसे वो बड़ी हो रही थी उसे अपना लक्ष स्पष्ट हो रहा था और उसने ठान लिया के उसे क्या करना है.
Image Source: Google |
Education | पढाई
कल्पना की
शुरवाती पढाई टैगोरे बाल निकेतन स्कूल, करनाल में हुई.
कल्पना पढाई में भी अच्छी थी वो हमेशा टॉप 5 में रहती थी. जे आर डी टाटा से
वो बहोत प्रभावित थी जो एक बहोत अच्छे पायलट थे.
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, भारत से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री
प्राप्त करने के बाद, वह 1982 में
संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं और 1984 में आर्लिंगटन
विश्वविद्यालय से टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विज्ञान की
डिग्री प्राप्त की.
कल्पना चावला ने 1983 में जीन-पियरे
हैरिसन (Jean-Pierre Harrison) से शादी की.
1986 में दूसरी मास्टर्स और 1988 में
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए वो यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर चली गयी.
उनका उत्कृष्ट शैक्षणिक इतिहास और विलक्षण
बुद्धिमत्ता के कारण उन्हें 1988 में नासा में स्थान मिला.
जहां उन्होंने ऊर्ध्वाधर / लघु टेक-ऑफ और लैंडिंग – Vertical and/or short take-off and
landing (V/STOL) अवधारणाओं पर
कम्प्यूटेशनल तरल गतिकी – Computational fluid dynamics (CFD) रिसर्च किया. 1993 में, वह ओवरसेट
प्रेसीडेंट्स, इंक. में उपाध्यक्ष और
अनुसंधान वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुईं, जो शरीर की कई
समस्याओं को हल करने के सिमुलेशन में विशेषज्ञता रखती थी. अप्रैल
1991 में एक प्राकृतिक अमेरिकी नागरिक बनने के बाद, चावला ने नासा (NASA) के अंतरिक्ष यात्री कॉर्प्स के लिए आवेदन किया. वह मार्च 1995 में कॉर्प्स में शामिल हुईं और 1996 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुनी गईं.
First Space Mission | पहला अंतरिक्ष अभियान-Space Shuttle Columbia(STS 87)
उसका पहला अंतरिक्ष अभियान 19 नवंबर 1997 को शुरू हुआ, जिसमें उनके
साथ कुल छह अंतरिक्ष यात्रियों
के दल के साथ अंतरिक्ष शटल कोलंबिया – Space Shuttle Columbia
एसटीएस -87 ने उड़ान भरी. कल्पना
चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं. अंतरिक्ष की भारहीनता में यात्रा के
दौरान उन्होंने निम्नलिखित शब्द बोले, "आप सिर्फ आपकी बुद्धिमत्ता हैं." अपने पहले मिशन पर, चावला ने पृथ्वी की 252
कक्षाओं में 10.4 मिलियन मील (16737177.6 किमी) की यात्रा की, जो अंतरिक्ष में 372 घंटे (15 दिन और 12 घंटे) से भी अधिक समय की थी.
Second Space Mission | दूसरा अंतरिक्ष अभियान
2001 में, चावला
को उनकी दूसरी उड़ान के लिए चुना गया था. इस मिशन को
शेड्यूलिंग संघर्ष और तकनीकी समस्याओं का
सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से मिशन टलता जा रहा था. 16 जनवरी 2003 को,
कल्पना
चावला आखिरकार अंतरिक्ष यान STS-107 मिशन पर
अंतरिक्ष शटल कोलंबिया में वापस लौट आयी. इस
क्रू ने पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत प्रौद्योगिकी विकास और
अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य और सुरक्षा का अध्ययन करने वाले लगभग 80 प्रयोग किए.
कोलंबिया के 28 वें मिशन STS-107 के प्रक्षेपण
के दौरान, फ़ोक इंसुलेशन का एक टुकड़ा स्पेस शटल के बाहरी
टैंक से टूट गया और ऑर्बिटर के बाएं पंख पर आ गिरा. पिछले
शटल लॉन्च ने फोम शेडिंग से मामूली नुकसान देखा था, लेकिन
कुछ इंजीनियरों को संदेह था कि कोलंबिया को नुकसान अधिक गंभीर था.
जब कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश
किया, तो गर्म वायुमंडलीय गैसों ने आंतरिक पंख संरचना को भेद कर
नष्ट कर दिया, जिससे अंतरिक्ष यान अस्थिर हो गया और
अलग हो गया. आपदा के बाद, अंतरिक्ष शटल
उड़ान संचालन को दो साल से अधिक समय के लिए निलंबित कर दिया गया था. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के निर्माण
को स्तगित कर दिया गया था. जब तक कि शटल उड़ानों एसटीएस -118
और 41 महीनों के चालक दल के रोटेशन के साथ फिर
से शुरू नहीं किया गया तब तक स्टेशन पूरी तरह से रूसी रोस्कोसमोस स्टेट कॉरपोरेशन
पर निर्भर था.
Space Shuttle Columbia Disaster | अंतरिक्ष शटल कोलंबिया आपदा
1 फरवरी 2003 को जब स्पेस शटल कोलंबिया पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश
करने की कोशिश कर रहा था तब एक हादसा हुआ और उसमे कल्पना चावला और उसके साथ अन्य
छह साथियोकि मृत्यु हो गयी. चालक
दल के बाकी सदस्यों के साथ उसके अवशेषों की पहचान की गई और उनकी इच्छा के अनुसार
यूटा के सियोन नेशनल पार्क में उनका अंतिम संस्कार किया गया.
Image Source: Google |
इस मिशन में उनके सहयोगी थे : कमांडर - रिक हस्बैंड, पायलट - विलियम सी. मैककूल, पेलोड कमांडर - माइकल पी. एंडरसन, मिशन विशेषज्ञ - कल्पना चावला, मिशन विशेषज्ञ - डेविड एम. ब्राउन, मिशन विशेषज्ञ - लॉरेल क्लार्क, मिशन विशेषज्ञ - इलन रेमन
ये दुर्घटना
पुरे विश्व के लिए दुखद थी. नासा ने अपने सबसे काबिल एस्ट्रोनॉट्स को खो दिया था
और भारत ने अपनी बेटी को.
5 फरवरी 2003 को,
भारत के प्रधान मंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी ने
घोषणा की कि उपग्रहों की मौसम संबंधी श्रृंखला, मेटासैट को
"कल्पना" नाम दिया जायेगा. 12 सितंबर 2002 को भारत द्वारा शुरू की गई श्रृंखला
"मेटसैट -1" उपग्रह का
नाम "कल्पना -1"
घोषित
किया गया.
कल्पना चावला पुरस्कार की स्थापना 2004 में कर्नाटक सरकार द्वारा युवा
महिला वैज्ञानिकों को उत्तेजना देने के लिए की गई.
नासा ने कल्पना चावला को एक सुपर कंप्यूटर समर्पित किया है.
कल्पना चावला की बायोग्राफी
उनके पति हरिसन द्वारा 'Edge of Time नाम से लिखी गयी है.
हमारे रीडर्स ये लेख भी पढ़ रहे है -
Amazing Story of Sunita Williams सुनीता विलियम्स की कहानी
6
legendary Indian Female Scientist भारत की 6 महान महिला वैज्ञानिक.
क्या एलोन मस्क
भविष्य पढ़ना जानते है?
5 कल्पनाये जिससे दुनिया बदलेगी!!!
Kis
Vaigyanik ne Stellar Spectra ki Utpatti ka Siddhant rakha?
5 सबक: दुनिया के सबसे सफल लोगों से
अब
आप भी करेंगे फ्लाइंग कार की सवारी !!!
Top Success Mantra from Dhirubhai Ambani सक्सेस मंत्रा श्री. धीरूभाई अम्बानी से.