दानवीर : रतन टाटा की कहानी | Story of Ratan Tata
बहोत कम लोग ऐसे होते है जिनके मन में समाज के लिए अपने देश के लिए निस्वार्थ समर्पण होता है. और ऐसे लोग उस देश के लिए ही नहीं पुरे विश्व के लिए प्रेरणादायी बनते है.
गीता में भगवान कृष्ण कहते है के किसीके दुःख पर
दया आने के बाद अगर आप उसके लिए कुछ करने का साहस नहीं रखते हो तो आपको दया दिखाने
का कोई अधिकार नहीं है. आज जिस व्यक्ति के बारे में मैं बात कर रहा हूँ उन्होंने
ना सिर्फ साहस दिखया बल्कि अपनी सिमा से कई आगे बढ़कर उन्होंने लोगो की सहायता की
है.
उनका जन्म किसी गरीब परिवार में नहीं हुआ था फिर
भी उन्हें गरीबी क्या होती है इस बात का अहसास है. उन्हें कभी भी किसी चीज की कमी
नहीं हुई लेकिन उन्हें ये समझ आ गया था के ऐसे बहोत से लोग है जिनके जीवन में बहोत
कुछ कमी है और उसे पूरा करने के लिए मुझे कुछ करना
चाहिए. और उन्होंने ऐसा किया भी.
कुछ लोग खुदके सपने पुरे करने के लिए दुसरो का उपयोग करते है लेकिन ये एक ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने खुद दुसरो के सपने पुरे करने के लिए सहायता का हाथ आगे बढ़ाया.
टाटा ग्रुप की कंपनियों का कुल नेटवर्थ 130 बिलियन डॉलर (2020) है और इसका 66% लाभ ट्रस्ट को जा रहा है क्योंकि लगभग 66% हिस्सेदारी
धर्मार्थ ट्रस्टों के पास है और इसके पीछे
कारण है रतन टाटा.
रतन टाटा इस ट्रस्ट का नेतृत्व करते आये है. जब वह समूह
के चेयरमैन थे, उस समय टाटा ट्रस्ट ने विभिन्न धर्मार्थ
कारणों के लिए 800 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक का योगदान
दिया और अभी भी विभन्न कारणोंके लिए योगदान देना जारी है.
उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं, ग्रामीण विकास और शिक्षा
प्रणाली को प्रोत्साहन दिया और भारत के विकास में बहुमूल्य योगदान दिया है.
उनकी चैरिटी केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेश
में भी बड़ी राशि उनके ट्रस्ट ने दान की है.
· टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट ने कॉर्नेल
यूनिवर्सिटी
(Cornell University) को भारत के स्नातक (Undergraduate) छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए $ 28 मिलियन का स्कॉलरशिप फंड दिया है. ये छात्रवृत्ति
निधि लगभग 20 छात्रों की सहायता करेगी और ये भी सुनिश्चित
करेगी कि सबसे अच्छे भारतीय छात्र, उनकी वित्तीय
परिस्थितियों की परवाह किए बिना कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त कर सके. प्रतिवर्ष यह छात्रवृत्ति दी जाती है; कॉर्नेल में
अपने अंडरग्रेजुएट की पढाई के लिए ये छात्रों के काम आती है.
· हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (Harvard Business School) में एक कार्यकारी केंद्र के
निर्माण के लिए $ 50 मिलियन का दान दिया. इस कार्यकारी केंद्र का नाम रतन टाटा हॉल रखा गया है. टाटा हॉल हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के मिड करियर कार्यकारी शिक्षा कार्यक्रम
के लिए समर्पित है.
· टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने संज्ञानात्मक प्रणालियों और स्वायत्त वाहनों में अनुसंधान की सुविधा के लिए कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय (Carnegie Mellon University) को भव्य 48,000 वर्ग फुट की इमारत के लिए $ 35 मिलियन का दान दिया, जिसे TCS हॉल कहा जाता है.
· रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने संसाधन-विवश
समुदायों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ
टेक्नोलॉजी (MIT) में एमआईटी टाटा सेंटर ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन का गठन किया.
· चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों के लिए बेहतर
पानी प्रदान करने के लिए कैपेसिटिव डीऑनाइजेशन विकसित करने के लिए न्यू साउथ वेल्स
संकाय के इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की आर्थिक सहायता की.
· 2020 में, जब
पूरी दुनिया Covid19 से लड़ रही थी तब टाटा ट्रस्ट ने मेडिकल
कर्मियों के लिए पीपीई किट खरीदने, परीक्षण किट की खरीद और आदि.
चीजों के लिए 500 करोड़ की बड़ी राशि का दान किया है.
रतन टाटा
बहोत बड़ी मिसाल है हम सबके लिए. लोगो की मदद करने के लिए हमें किसी कारण की
आवश्यकता नहीं है. बस हमारी इच्छा ही काफी है. देश की सेवा करने का इससे अच्छा
मार्ग और क्या हो सकता है.
Short Biography | अल्प परिचय
· रतन टाटा का जन्म मुंबई में २८ दिसंबर १९३७ को हुआ. उनके पिता का नाम नवल टाटा और माँ का नाम सोनू नवल टाटा है.
· वो एक उच्च शिक्षित बिजनेसमैन है.
उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई चैंपियन स्कूल से 8 वीं कक्षा
तक की और फिर बिशप कॉटन स्कूल में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल शिमला से बाकि पढाई
की.
· उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय, यूएसए (Cornell
University, USA) से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री प्राप्त की
है और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, यूएसए से एडवांस्ड मैनेजमेंट
प्रोग्राम किया है.
· उनकी पहली नौकरी टाटा स्टील में थी जहाँ उनकी पहली
जिम्मेदारी फावड़ा चूना पत्थर और ब्लास्ट फर्नेस का प्रबंधन करना था.
· वह टाटा संस के पूर्व चेयरमैन थे और 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन, और फिर अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चेयरमैन के pad par थे.
· रतन टाटा ने आक्रामक रूप से टाटा
ग्रुप का विस्तार किया, लंदन स्थित टेटली टी-
Tetley Tea (2000) और एंग्लो-डच स्टील
निर्माता कोरस ग्रुप- Corus Group (2007) जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया. 2008 में उन्होंने टाटा मोटर्स की फोर्ड मोटर कंपनी से एलीट ब्रिटिश कार ब्रांड
जगुआर (Jaguar) और लैंड रोवर (Land Rover) को ख़रीदा.
· रतन टाटा की लगभग 1 बिलियन अमरीकी डालर (INR
7164 करोड़) की कुल संपत्ति है.
· रतन टाटा को वर्ष 2007 में परोपकार के लिए कारनेगी मेडल (Carnegie Medal of Philanthropy) से सम्मानित किया गया था.
· उन्हें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म
विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से
सम्मानित किया गया है.
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि, यह
उनके पूर्वजों के व्यवसाय नहीं बल्कि उनकी दादी की उदारता है जिसने उन्हें प्रेरित
किया.चैरिटी का काम करने की प्रेरणा उन्हें उनकी दादी से मिली.
रतन टाटा
अविवाहित है. इस बारे में जब उन्हें सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा "मैं चार
बार शादी करने के करीब आया था लेकिन हर बार मैं डर या किसी और कारण से पीछे हट
गया."
उन्होंने
ये भी कहा कि वह लॉस एंजिल्स में एक लड़की से प्यार करते थे. चूंकि उनके परिवार के सदस्य बीमार थे, इसलिए उन्हें
भारत लौटना पड़ा लेकिन लड़की के माता-पिता ने उस लड़की को उनके साथ भारत आने की
अनुमति नहीं दी. अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए उन्होंने कभी
शादी नहीं की.
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