कोरोना वायरस की लड़ाई में “हम” कहां हैं?

अपडेट के अनुसार कोरोना वायरस के केसेस का रिकॉर्ड टूटता जा रहा है. वैक्सीन आने के बाद सबने राहत की सास ली थी. लेकिन परिणाम अपेक्षा अनुसार नहीं है. पिछले साल से इस साल Covid 19 ने अधिक गंभीर रूप धारण कर लिया है. क्या इस बीमारी का हल कुछ निकलेगा भी यही सब सोच रहे है. आखिर इस महामारी का पूर्णतः अंत कैसे होगा? क्या वैक्सीन फेल हो गयी है? क्या हमारी सरकार इस बीमारी से लड़ने में असक्षम है? ऐसे कई सवाल लोगो के मन में आ रहे है.

लेकिन अब समय है के कुछ सवाल हम अपने आप से भी करे.

2020 के Complete Lockdown के शिथिल होते होते हम जो सावधानिया बरत रहे थे वो भी क्यों शिथिल हो गयी? सबको पता है के मास्क पहनना कितना जरूरी है फिर भी ज्यादा तर लोग बिना मास्क के क्यों घूमते हुए दिखाई देते है? क्यूँ पुलिस को हमसे सावधानिया बरतने के लिए जबरदस्ती करनी पड़ती है? सोशल डिस्टन्सिंग का मतलब अब एक अनपढ़ आदमी भी समझने लगा है फिर उसका पालन करना पढ़े लिखे लोग भी क्यूँ भूल जाते है?

वैक्सीन है कोई जादू की छड़ी नहीं

जब ये न्यूज़ बाहर आयी के भारत ने Covid 19 के लिए वैक्सीन ढूंढ ली है तब सारे देश ने राहत की सांस. सबको लगा के अब इस महामारी पर हमारी जित निश्चित है और सब बेसबरी से वैक्सीन का इंतजार करने लगे. लेकिन इस ख़ुशी और इंतजार के बिच जो इस महामारी को लेके सीरियसनेस था वो कम होता गया. और जिस दिन वैक्सीन का पहिला टिका लगा तब लोगो को लगा के अब हम निश्चित होकर रह सकते है. जब की प्रशासन बार बार बता रहा था के सावधानी में कोई ढिलाई ना दे. लेकिन अब लोग इतने सीरियस नहीं थे. उन्हें लगा के अब हमारे और कोरोना के बिच ढाल है तो वो हमें बचा लेगी. सबको लगा के वैक्सीन लगाने से ये बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी. बस यही भूल भारी पड गयी. लोगोने दवाई को जादुई छड़ी समझ लिया. भूल गए के इस वैक्सीन की भी कुछ मर्यादाये है.

आज न्यूज़ के माध्यम से सबको पता है के ये Vaccine क्या और कैसे काम करती है. जिन्होंने वैक्सीन ली वो भी Covid 19 positive होने के केसेस सामने आये है. ये वैक्सीन कोरोना वायरस की लडाई में हमें मजबूत बनाने का काम कर रही है लेकिन हमारी गलती ये है के हम पूरी तरहा इसपर निर्भर हो गए और अपनी जिम्मेदारिया निभाना भूल गए.

Lockdown और हमारी मजबूरिया

Lockdown इस शब्द का हमारी जिँदगीपर इतना प्रभाव हुआ है की ये शब्द हमारी पूरी जनरेशन कभी भूल नहीं सकती. 2020 के Lockdown में पूरा देश घर में बंद था. जिस तरह हमारे दादा परदादा हमें पार्टीशन की कहानिया सुनाते थे वैसे ही हम अपने पोतों को Lockdown की कहानिया जरूर सुनाएंगे. Lockdown जरूरी था Covid 19 महामारी का प्रसार रोकने के लिए. लेकिन इसने हमारी पूरी जीवनशैली ही बदल दी थी और अभी भी उस बदलाव का सामना हम कर रहे है. सबसे ज्यादा इसका प्रभाव हुआ आम लोगो की आर्थिक स्थिति पर. कई सारे लोगो की नौकरिया चली गई. कितने सारे लोग स्थलांतरित हुए. आज भी हाईवे से पैदल चलती वो लोगों की कतार याद करके दुख होता है. वो वापस आये के नहीं ये पता नहीं. उसमे से कितने कोरोना की लडाई में हार गए ये भी हम ठीक से बता नहीं सकते. बच्चे, बूढ़े, औरते, जवान सबके लिए परिस्थिति सामान थी और खतरा भी. जब तक लोग सह सकते थे लोग घरो में रहे और जैसे ही थोड़ी थोड़ी आज़ादी मिलना शुरू हुआ लोग भूलने लगे के सम्पूर्ण Lockdown की नौबत वापस भी आ सकती है. और ऐसा हुआ तो क्या फिरसे Lockdown हम अफोर्ड कर पाएंगे?

आज हमें कोरोना के साथ साथ महंगाई से भी लगना पड़ रहा है. इसमें यदि फिर से Lockdown लग जाता है तो हमारी हालत बहुत खराब होने वाली है. हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही पटरी से उतरी हुई है ऐसे में सरकार फिरसे लॉकडाउन लगाने से पहले हजार बार सोचेगी.

निश्चित ही कोरोना ने हमारी जीवनशैली को पूरी तरह से बदल दिया है. आम आदमी अपनी जिंदगी को नॉर्मल बनाने की कोशिश में लगा हुआ है. ऐसा लगता है के ये अब जीवन का एक पार्ट बनने वाला है. हम इससे इसके आदि हो कर ही जीत सकते है. और इस महामारी से जितने के लिए आम आदमी को जिम्मेदार आदमी बने रहना होगा.


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